उक्त पुस्तक में इतिहास के क्षेत्र में विशारद लेखक ‘पुरुषोत्तम नागेश ओक’ ने ‘ताजमहल मन्दिर भवन है’ पुस्तक में ताजमहल को ‘हिन्दू प्रासाद’ सिद्ध करने के साक्ष्य प्रस्तुत किए है । लेखक ने पुस्तक में ताजमहल में मन्दिर परम्परा, हिन्दू भवन से सम्बंधित दस्तावेज के साक्ष्य, यूरोपीय पर्यटकों के वृत्त, स्थापत्य के साक्ष्य, असंगत तथा भ्रामक तथ्य, निर्माण की अवधि, वास्तुकारों के मनगढ़त नाम, नक़्शे कहां है व आदि अन्य तथ्यात्मक विषयों पर ऐतिहासिक दृष्टिकोण से विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास किया है ।
विश्व के सुप्रसिद्ध भवन आगरा का ताजमहल इसका एक ज्वलन्त उदहारण है । निजी समय, धन का व्यय एवं कष्ट सहते हुए ताजमहल देखने के लिए विश्व भर के हजारों पर्यटक आते रहते हैं, लेखक का मानना है कि वास्तव में उन्हें यह विदित कराना चाहिए कि ताजमहल इस्लामी मकबरा न होकर ‘तेजोमहालय’ नाम का शिव मन्दिर है जो तत्कालीन राजा जयसिंह से पञ्चम मुगल सम्राट शाहजहाँ से छीन लिया था । अतः ताजमहल को शिव मन्दिर की दृष्टि से देखना चाहिए न कि इस्लामी मकबरे की दृष्टि से ।