
भगत सिंह
- आज के इस आधुनिकयुग में 23 वर्ष का कोई भी युवा आज किसी भी अभिनेता का एक-एक संवाद सुना सकता है, लेकिन भारतीय सभ्यता-संस्कृति और इतिहास के विषय में प्रश्न पूछ लिए जाए तो उत्तर उसके पास नहीं, क्योंकि आज वह आज़ादी की खुली हवा में साँस ले रहा है । लेकिन इसी छोटी-सी आयु में सरदार भगत सिंह हँसते-हँसते और “मेरा रंग दे बसंती चोला” गुनगुनाते देश की आज़ादी के लिए फाँसी के फंदे पर झूल गए थे ।
- राष्ट्रभक्ति के संस्कार उन्हें विरासत में मिले थे, उनके दादा सरदार अर्जुन सिंह महर्षि दयानंद सरस्वती के उपदेशों से प्रभावित होकर आर्य समाजी बन गए थे ।
- सरदार भगत सिंह ने कहा था कि कोई कितना ही करे, लेकिन स्वदेशी राज्य ही सर्वोपरी उत्तम होता है ।