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Chand Fansi Ank / चाँद फाँसी अंक

Rs. 350.00

राष्ट्रप्रेमियों के लिए अमूल्य और दुर्लभ भेंट

चाँद फाँसी अंक प्रथम बार नवम्बर माह सन १९२८ में प्रकाशित हुआ था तब हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था । अंग्रेज सरकार को इसका प्रकाशन अपने लिए हानिकारक लगा और इस पुस्तक ‘चाँद फाँसी अंक’ को जब्त कर लिया । स्वतन्त्र भारत में यह एक बार फिर से छपा । पुनः विदेशी ताकतों ने आंतरिक तौर पर इसका पुरजोर विरोध किया । लेकिन अब तक तो यह दुर्लभ ग्रन्थ बहुतायात मात्रा में छप चुका था । लेकिन ख़ुशी की बात ये है कि इनती अमूल्य और दुर्लभ धरोहर पाठकों तक पहुँचाना हम अपना कर्तव्य समझते है । देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने वाले क्रान्तिकारियों और स्वतन्त्रता सेनानियों की जीवनगाथा आप सभी को स्मरण रहे अतः इसकी प्रति घर घर पहुँचाना हमारी यह छोटी सी श्रद्धांजली है ।

यदि आप भी राष्ट्रप्रेमी हैं और आज़ादी के कर्णधारों को श्रद्धांजली देकर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करना चाहते हैं तो इस पुस्तक ‘चाँद फाँसी अंक’ पुस्तक का प्रचार प्रसार अवश्य करें । क्योंकि जो राष्ट्र अपने बलिदानियों को भूला देता है वह कभी भी पराधीनता के चक्रव्यूह में फँसता चला जाता है । इसीलिए राष्ट्रीय भावना को निरन्तर बनाए रखना किसी भी राष्ट्र की सुरक्षा और अखंडता के लिए आवश्यक हैं । इस पुस्तक में लेखक ने सन 1857 से लेकर 1928 तक हुई क्रान्ति का विवरण किया है और साथ साथ स्वतंत्रता यज्ञ में अपनी आहुति देने वाले क्रान्तिकारियों का जीवन परिचय और क्रान्तिकारी घटनाओं का प्रमाणिक इतिहास भी सम्मिलित किया है । जोकि तत्कालीन लेखकों और प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा लिखा गया है ।

लेखक ने उक्त पुस्तक ‘चाँद फाँसी अंक’ में यूरोपीय देशों के क्रूरतापूर्ण विवरणों तथा दमनकारी अमानवीय तरीकों का इतिहास देकर यूरोपीय लोगों के पाशविक जीवन शैली का वर्णन किया है । ऐसी- ऐसी दुर्लभ पुस्तकों को आप तक पहुँचाने के लिए हम सदैव तत्पर है । तो आइये इसका लाभ उठाएं, स्वयं पढ़े और अधिक से अधिक लोगों को पढ़ाने के लिए प्रयास करें । ताकि देशप्रेम की ज्योति जन-जन के ह्रदय में जगमगाती रहे ।

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